आंबेडकरवादी साहित्य (On YouTube)

'आंबेडकरवादी साहित्य' (AMBEDKARVADI SAHITYA) एक यूट्यूब चैनल है । इस चैनल को दर्शक Social Media की अन्य वेबसाइटों Facebook , Twitter , Instagram , Google Plus तथा Blogger पर भी फॉलो कर सकते हैं ।

'आंबेडकरवादी साहित्य' चैनल का उद्देश्य अपने अर्थ व परिभाषा के अनुरूप ही है । इसके लिए 'जैसा नाम वैसा काम' की लोकोक्ति का प्रयोग करना बिल्कुल उपयुक्त होगा ।


'आंबेडकरवादी साहित्य' चैनल पर अपलोड की गयी गीतों की सूची नीचे दी जा रही है :-

1. जिंदगी प्यार का गीत है

बुद्ध से कोई प्यारा नहीं
बुद्ध जैसा सहारा नहीं
झूठ के ऐसे संसार में
बुद्ध के बिन गुजारा नहीं

बुद्ध से जो भी अनजान है
वो अभागा परेशान है
नासमझ और नादान है
बुद्ध को जो निहारा नहीं
झूठ के ऐसे ................

अंधेरे में या करते हो क्यों
परछाई पकड़ते हो क्यों
उस नदी में उतरते हो क्यों
जिसका कोई किनारा नहीं
झूठ के ऐसे ................

ढोंग से किसको क्या है मिला
बंद कर दो ये सब सिलसिला
फिर कभी ना ये करना गिला
कि 'प्रखर' ने पुकारा नहीं
झूठ के ऐसे ................

2. तू मेरी जिंदगी है

ये बुद्ध की जमीं है, ये धम्म की जमीं है 
संघ है यहाँ तो फिर किस बात की कमी है 
ये बुद्ध की जमीं है ................

संघ के साए में रहते सभी हैं 
एकता की बातें कहते सभी हैं 
संघ से अलग दुनिया में कौन आदमी है 
ये बुद्ध की जमीं है ................

शील की चाहत है सबके दिलों में 
करुणा की बात होती सभी महफिलों में 
सबकी निगाहों में गम की नमी है 
ये बुद्ध की जमीं है ................

अज्ञानता से ही मिले परेशानी 
ज्ञान की डगर है बुद्ध की निशानी 
हकीकत यही 'प्रखर' यही लाजमी है 
ये बुद्ध की जमीं है ................

3. सांसो की जरूरत है जैसे जिंदगी के लिए

बुद्ध की शरण मिल गई है रोशनी के लिए 
अब और क्या चाहिए जिंदगी के लिए

गम को खाते थे आँसू पीते थे 
क्या बतलाएँ हम कैसे जीते थे 
मिल गया हमें एक रहगुजर 
दे गया हमें धम्म की डगर 
कहते हैं लोग जिसे साहेब अंबेडकर 
धम्म की शरण मिल गई है 
सादगी के लिए 
अब और क्या .............

खुशियाँ मिलती हैं मिलके रहने से 
गम ना कम होता सबसे कहने से 
राह में 'प्रखर' राह कम नहीं 
जिंदगी है कम चाह कम नहीं 
गम का गम है उसे जिसका हमदम नहीं 
संघ की शरण मिल गई है 
हमनशी के लिए 
अब और क्या ............

4. वादी-ए-इश्क से आया है मेरा शहजादा

बुद्ध की बात को हर कोई दोहराता है 
धम्म से तो जगत में हर किसी का नाता है 

हिंदू मुस्लिम हो चाहे सिख हो इसाई 
सभी ने बुद्ध की ही राह अपनाई 
करुणा का ही पाठ हर कोई पढ़ाता है 
धम्म से तो जगत में ..................

शील का आचरण तो हर किसी को भाए 
अपने घर की लाज हर कोई बचाए
पंचशील का ही वचन धम्म भी दिलाता है
धम्म से तो जगत में ..................

कहते 'प्रखर' संघ से ही परिवार है 
संघ से ही बना ये सारा संसार है 
संघ में रहना ही आराधना को भाता है
धम्म से तो जगत में ..................


5. मैं एक राजा हूँ, तू एक रानी है

बुद्ध तथागत की अजब कहानी है 
इस दुनिया के हर कोने में बुद्ध की बानी है 
बुद्ध तथागत की ..........................


जो बर्मा श्रीलंका जाए 
गौतम का ही डंका पाए 
गौतम के प्रेमी भूटानी और जापानी है 
बुद्ध तथागत की ..........................


बुद्ध की राह 'प्रखर' अपनाएं 
बुद्ध वचन जन-जन को सुनाएं 
बुद्ध नहीं तो बचपन होता बुद्ध जवानी है 
बुद्ध तथागत की ..........................

6.  नहीं ये हो नहीं सकता कि तेरी याद ना आए

बहुत कुछ है समय बदला 
समय कुछ और बदलेगा 
भरम जो है भरा मन में 
भरम वह मन से निकलेगा 
वह भी समय होगा 
ये भारत बौद्धमय होगा 

यह तो विज्ञान का युग है
सत्य के ज्ञान का युग है
हो रही धम्म की चर्चा 
धम्म के ध्यान का युग है 
रोका है किसने समय चक्र को 
समय ज्वालामुखी बनकर 
क्रांति का लावा उगलेगा 
भरम जो है भरा ..........

सुनो ना काल्पनिक किस्से 
करो अब तर्क की बातें 
बिना सिर पैर की हैं ये 
स्वर्ग या नर्क की बातें 
कुछ ना मिलेगा पाखंड से 
गिरा दो दूध जितना भी 
'प्रखर' पत्थर ना पिघलेगा 
भरम जो है ..............

7.  तुम दिल की धड़कन में रहते हो

हे गुरु ! हम अपने दिन की 
शुरुआत तुम्हीं से करते हैं 
दिन जिन भी कामों में ढले 
पर रात तुम्हीं से करते हैं 
तुम हमको प्यारे हो 
आँखों के तारे हो 

सच जबसे हम जाने हैं 
हम तुमको ही माने हैं 
संत शिरोमणि नामी हो 
गुरु तुम अंतर्यामी हो 
ध्यान लगाकर तुम्हारा 
हम बात तुम्हीं से करते हैं 
दिन जिन भी ..............  

रस क्या है किस में रस है 
प्रखर यहां क्या नीरस है 
सुख किसको है शांति कहां 
क्यों यह मानव बेबस है 
सब जाने अब हम सुख की 
सौगात तुम्हीं से करते हैं
दिन जिन भी ..............  

8. इस तरह आशिकी का असर छोड़ जाऊँगा

आज आसमां में देखो गजब का उजाला है 
माघ पूर्णिमा का दिन ये सच में निराला है 

नाज आया है नजरों पे, रंग में नजारे हैं 
क्या बताएं कैसे-कैसे वक्त के इशारे हैं 
बाँध में है नशा, मौज में जोश है 
मस्त है ये हवा, अब किसे होश है 
ऐसे हाल में हमने होश को संभाला है 
माघ पूर्णिमा का दिन ...................

संत की सच्ची वाणी से ये जमीं सुहानी है 
आज का ये दिन संतो के संत की कहानी है 
जिसमें अज्ञान है, वो परेशान है 
सारे सुख की डगर एक सत्ज्ञान है 
सही ज्ञान ने 'प्रखर' दुःख से निकाला है 
माघ पूर्णिमा का दिन ...................

9. काहे को बुलाया मुझे बालमा प्यार के नाम से

कैसे मैं सुनाऊं तुम्हें आजकल बात इतिहास की 
असली कहानी छुपाई गई संत रैदास की 

भक्ति नहीं किए, जूता नहीं सीए 
सच यह जान लो 
गंगा नदी कहो, देवी नहीं कहो 
अब यह मान लो 
निर्गुण धारा के वह योगी 
कृष्ण कथा से जोड़े ढोंगी 
सुनो ना कभी तुम कहो ना कभी बात बकवास की 
असली कहानी छुपाई गई ...........................

चाहे जहां रहो, खुलके सदा कहो 
जय गुरु रविदास 
इच्छा किए बिना, शिक्षा लिए बिना 
हो गाना विकास 
वेदों की अब बातें छोड़ो 
विज्ञानों से नाता जोड़ो 
कहते 'प्रखर' अब तो छोड़ो डगर अंधविश्वास की 
असली कहानी छुपाई गई ...........................

10. आए हैं पहली बार सपने साजन के

करती है हवा मनमानी 
बिन बादल बरसता पानी 
गुल खिलाती है बहारें कलियों में 
आते हैं जब रैदास हमारी गलियों में 

पैमाने दरिया के लगते सिमटने 
तूफान लगते हैं खुद में लिपटने 
धरती मचलती नजर आती 
सारी दिशाएं बिखर जाती 
सिर झुकाए आकाश हमारी गलियों में 
आते हैं जब रैदास ........................

रैदास की पांव छूते सितारे 
एकटक चांद और सूरज निहारे 
आकाश गंगा उच्छल ती है 
पानी से बिजली उगलती है 
होता 'प्रखर' सब खास हमारी गलियों में 
आते हैं जब रैदास ........................

11. और इस दिल में क्या रखा है

कैसे तुमको हम बतलाएँ
रैदास की महिमा कैसी है 
जो जैसा है उसके लिए तो 
रैदास की महिमा वैसी है 

संत के किस्से तो सुने थे लोगों से 
संत क्या होता है पढ़े जब तो जाने 
कहा विद्वानों ने संत वो होता है 
विश्व को जाने जो सत्य को पहचाने 
संत शिरोमणि को गलती से भक्त नहीं कहना 
चिंतन से ही चित्त सुधारे 
रैदास की महिमा ऐसी है 
कैसे तुमको .................

संत जो होते हैं ढोंग ना करते हैं 
भोग से बचते हैं योग के रखवाले 
संत की महिमा से सत्य की गरिमा है 
सत्य से डरते हैं झूठ कहने वाले 
झूठे लोगों की महफिल से दूर सदा रहना 
'प्रखर' वैसा ही कहते हैं 
रैदास की महिमा जैसी है 
कैसे तुमको .................

12.  बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम

रैदास के सच की खोज करो 
रैदास पे चिंतन रोज करो 

भक्ति के घेरे में ना रहो तुम 
रैदास को ना भक्त कहो तुम 
दासों के जैसा ना भोज करो 
रैदास के सच की ............

'प्रखर' सुनाएं रैदास बानी 
रैदास जी की सच्ची कहानी 
पाखंड में ना मौज करो 
रैदास के सच की .......

13.  काश कहीं ऐसा होता


रैदास कहें ऐसा होना 
कि हो ना जीवन में रोना 
जो राह दिखाया साहब ने 
वह राह कभी तुम ना खोना 

इस दुनिया में वह रोता है 
जो दुनिया को ना जाने 
वह गैरों की बातें करता 
जो खुद को ना पहचाने 
जाग रहा है बहुजन सारा 
जाग उठो तुम ना सोना 
रैदास कहें ...............

सब कहते हैं तो कहने दो 
बात नहीं तुम दोहराओ 
झूठे का है शोर यहाँ पर 
झूठ कभी तुम ना गाओ 
इस मैली गंगा में 'प्रखर' 
हाथ कभी तुम ना धोना 
रैदास कहें ...............


14. आए हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके 

रैदास जी की बानी मन में उतार करके 
हम खुश हैं आज अपना जीवन सुधार करके 

भगवान के भरम से हम तो निकल गए हैं 
रैदास जी के दम से हम तो बदल गए हैं
विज्ञान की गली में हर दिन गुजार करके 
हम खुश हैं आज ...........................

आँसू बने हैं मोती साथ ही बनी है जोती 
अफवाह की घटाएँ हमको नहीं भिंगोती 
'प्रखर' बहार हँसती हमको निहार करके 
हम खुश हैं आज ...........................


  15.  इश्क और प्यार का मजा लीजिए

शील, सदाचार की घड़ी आ गई 
संत के विचार की घड़ी आ गई 

समय की पुकार है सोचिए विचारिए 
कभी बैठकर अपने आप में निहारिए 
समय के पुकार की घड़ी आ गई 
संत के विचार की ..................

वेद और ज्ञान का भेद पहचानिए 
मानिए नहीं पहले सही बात जानिए 
ज्ञान के फुहार की घड़ी आ गई 
संत के विचार की .................

बड़े परिवार में बड़ा ही तनाव है 
भाव बढ़ रहे 'प्रखर' गुणों का अभाव है 
छोटे परिवार की घड़ी आ गई 
संत के विचार की ..............

16.  छोटी सी प्यारी सी नन्ही सी आई कोई परी

सोने पे लाया सुहागा है आज का समां
सोये सितारों में जागा है आज आसमां 
तेज अपना सूरज समेटने लगा 
चाँद भी झरोखे से देखने लगा 
वक्त का निराला अंदाज हो गया 
जो कभी हुआ ना वो आज हो गया 
आ गए गुरुवर आ गए 

पंछी डोले हैं सुर में बोले हैं गुरु की महिमा का अंत ना कोई 
भंवरे गाए हैं खुशियां पाए हैं कहते हैं ऐसा संत ना कोई 
रंग में अब हवा घूमने लगी 
संग में ये जमीं झूमने लगी 
वक्त का निराला ................

करुणा आई है शांति लाई है धड़कन की धुन संदेश दे रही 
गुरु वरदानी हैं सुख के दानी हैं दुनिया ये ही उपदेश दे रही 
हर दिशा ले रही हर घड़ी खबर 
कुदरती खेल में रम गए 'प्रखर' 
वक्त का निराला .....................

17. मैं जट यमला पगला दीवाना 

जो सद्गुरु से नेहा लगाए 
वह जीवन का असली सुख पाए 
कि संत ज्ञानी कहते हैं 
सब ज्ञानी कहते हैं 

सद्गुरु संत शिरोमणि सच्चे ज्ञानी है 
साधक सिद्ध पुरुष करुणा की रानी है 
सद्गुरु संयम शील ही सिखाते हैं 
जीवन सफल बनाएं 
जो सद्गुरु से नहीं है लगाया

18.  नजर के सामने जिगर के पास

रुके नहीं कभी, झुके नहीं 
बाबा साहेब का कारवां  

समता सैनिक दल आगे पीछे भीम की सेना 
साथी नीले झंडे को तुम भी हाथ में लेना  
देखलो सामने वक्त है जा रहा 
रुके नहीं कभी ..................  

आओ हम सब मिलकर के कुछ ऐसा कर जाएँ
बरसों पहले जैसे थे वैसे दिन ना आएँ  
कह रहे हैं 'प्रखर' और आराधना 
रुके नहीं कभी ..................  

19. सोचेंगे तुम्हें प्यार करके नहीं

नमो बुद्धाय कहना सदा 
नमो भीमाय कहना सदा 
बुद्ध ही सहारा अपना 
भीम ही हमारा अपना 
इनकी शरण में हमको रहना सदा 

जग में कोई ऐसा ना हुआ 
बाबासाहेब जैसा ना हुआ 
साहेब ने उपकार किया 
बहुजन को अधिकार दिया 
बाबा साहेब का सपना 
अब हमने समझा अपना 
इनकी ही धारा में है बहना सदा 
नमो बुद्धाय ........................

साहेब से है अपना वास्ता 
सच्चा है साहेब का रास्ता 
'प्रखर' ने ये ठाना है 
आगे बढ़ते जाना है 
भीम हमारी हिम्मत है 
भीम हमारी ताकत है 
इनके लिए लाखों गम सहना सदा 
नमो बुद्धाय ...........................

20.  नजर के सामने जिगर के पास

हजार बार है उन्हें नमन 
दे गए जो ये जिंदगी 

अब तक याद हमें है वो अंधेरे में रोना 
नाकामी से सहमा था घर का कोना-कोना 
ज्योतिबा जो मिले 
ज्योति भी मिल गई 
हजार बार है .......

करुणा का अमृत लेकर एक मसीहा आया  
मुर्दों को जिंदा करके गुजरा दिन लौटाया 
भीम से ये जुबां 
भीम से ही 'प्रखर' 
हजार बार है .......


आंबेडकरवादी साहित्य (बौद्ध धम्म साहित्य) से संबंधित गीत, कविताएं, नाटक आदि सुनने और देखने के लिए हमारे यूट्यूब चैनल DHAMMA SAHITYA (आंबेडकरवादी साहित्य) को जरूर सब्सक्राइब करें और हमारे वीडियो की निरंतर सूचना प्राप्त करने के लिए Bell Icon 🔔  (बेल आइकन) को दबाना ना भूलें ।


~•~~~~~•~~~~~•~~~~~•~~~~~•~~~~~~•~

1 टिप्पणियाँ

  1. यूट्यूब पर हमारे चैनल "धम साहित्य" को सब्सक्राइब करें और उस पर अपलोड की जाने वाली सभी वीडियो को अवश्य देखें । हमें उम्मीद है कि हमारी वीडियो आपको पसंद आएँगी ।
    वीडियो पसंद आने पर साझा करना न भूलें । हमारा उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं है, बल्कि समाज को सम्यक संदेश प्रदान करना भी है । इसलिए हमारा आग्रह है कि आप लोग इस कार्य में हमारा सहयोग करें ।

    जवाब देंहटाएं
और नया पुराने