कवि एल.एन. सुधाकर जी वरिष्ठ आंबेडकरवादी साहित्यकार हैं । उन्होंने दो महाकाव्य तथा चार काव्य-संग्रह की रचना की है । सुधाकर जी के द्वारा घनाक्षरी छंद में रचित एक कविता यहाँ प्रस्तुत है । इस कविता में संत शिरोमणि गुरु रविदास के गुणों की प्रशंसा की गयी है ।
प्रकट प्रकाशपुंज संत रविदास हैं (कविता)
प्रेम के पयोध बोध, शील समता के सिंधु,
भारत भुवन भानु चारु चन्द्रहास हैं ।
शोषित समाज बीच स्वाभिमान ज्ञान सींच,
धीर वीर भावना के भरे उच्छवास हैं ।
द्विजन के मान मारे ज्ञान को प्रकाश करि,
संतन के सर्वस्व सुखद सुवास हैं ।
सुधाकर, धरम क्रान्ति कीन्ही बनी शांतिदूत,
प्रकट प्रकाश पुंज संत रविदास हैं ।
हिन्दू मुसलमान ईसाई सिख जैन बौद्ध,
न्यारे नाम आदमी के धरबाए हैं।
जननी की कोख से तो एक से ही लाल जने,
जाति वर्ण भेद आदमी ने उपजाए हैं ।
पेड़ पशु जीव जंतु पक्षियों में जातिभेद,
नर नारी दो ही भेद मानव के पाए हैं ।
कागज़ की लेखी नहीं, आंखिन कु देखी कही,
सुधाकर, सहज रविदास चेताए हैं ।
✍️ एल.एन. सुधाकर
वरिष्ठ साहित्यकार एवं सलाहकार सदस्य GOAL
🏠 शाहदरा, दिल्ली
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कविता