जीवन परिचय
श्यामलाल राही उर्फ 'प्रियदर्शी' जी का जन्म 9 जनवरी सन् 1950 ई० को उत्तर प्रदेश के जनपद शाहजहाँपुर के अंतर्गत मकरंदपुर नामक गाँव में हुआ था । इनके पिताजी का नाम परिनि० कल्याण सिंह और माताजी का नाम परिनि० कितुका सिंह है । इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा वर्ष 1964 में एस०एन०एम० कालेज कायमगंज (फरुर्खाबाद) से द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की । वर्ष 1966 में इन्होंने इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की । उसी वर्ष 5 जून सन् 1966 ई० को इनका विवाह शकुन्तला राही जी के साथ हुआ । शकुन्तला राही जी (जन्म : 1 मार्च 1951) हरदोई जनपद के अंतर्गत भरखनी ब्लाॅक में स्थित मैकपुर गाँव के निवासी हुलासी प्रसाद की पुत्री हैं । राही जी का विवाह बहुत ही सादे ढंग से मात्र नौ बारातियों की उपस्थिति में हुआ था । राही जी की दो पुत्रियाँ - कीर्ति प्रियदर्शिनी और क्रान्ति प्रियदर्शिनी, तथा दो पुत्र - आलोक प्रियदर्शी और विवेक प्रियदर्शी हैं । इन्होंने बी०ए० की परीक्षा वर्ष 1968 में बद्री विशाल कालेज फरुर्खाबाद से द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की तथा वर्ष 1970 में एम०ए० की परीक्षा अर्थशास्त्र विषय से बद्री विशाल कालेज फरुर्खाबाद से द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की । वर्ष 1972 में इन्होंने एस०एस० कालेज शाहजहाँपुर से बी०एड० की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की । राही जी ने 25 सितंबर 1972 से 6 फरवरी 1976 तक सहायक अध्यापक के रूप में राजकीय इण्टर काॅलेज गेबला (उत्तर काशी) सेवा किया । श्यामलाल राही जी 7 फरवरी 1976 से 17 जनवरी 1988 तक प्रति उपविद्यालय निरीक्षक के पद पर टेहरी, बदायूँ, बरेली में कार्यरत रहे । इन्होंने 18 जनवरी 1988 से जुलाई 1993 तक उपविद्यालय निरीक्षक के पद पर मुरादाबाद में सेवा किया । ये जुलाई 1993 से 27 फरवरी 1995 तक प्रधानाचार्य के पद पर राजकीय हाई स्कूल न्योरिया, पीलीभीत में कार्यरत रहे । 28 फरवरी 1995 से 26 फरवरी 1996 तक राही जी ने पीलीभीत में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के पद पर रहकर कार्य किया । 27 फरवरी 1996 से 28 अगस्त 1998 तक जिला विद्यालय निरीक्षक के पद पर कार्यरत रहते हुए सहारनपुर, मुरादाबाद, रायबरेली, श्रावस्ती, बहराइच आदि जिलों में इन्होंने सेवा किया । 29 अगस्त 1998 से जून 2005 तक ये प्राचार्य के पद पर डायट बाँसी, सिद्धार्थ नगर और श्रावस्ती में सेवारत रहे । जून 2005 से 6 जुलाई 2007 तक राही जी ने उप-शिक्षा-निदेशक (अर्थशास्त्र) के पद पर शिक्षा निदेशालय, इलाहाबाद (उ०प्र०) में सेवा किया । श्यामलाल राही जी 7 जुलाई 2007 से 31 जनवरी 2010 तक प्राचार्य के पद पर डायट बुढ़नपुर, अमरोहा में सेेेेेेवारत रहे एवं उसी पद पर कार्यरत रहते हुए अंत में सेवानिवृत्ति प्राप्त किये । वर्तमान में ये पूर्ण मनोयोग से साहित्य-सृजन में लीन हैं ।
व्यक्तित्व परिचय
श्यामलाल राही जी चूँकि लंबे समय तक अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे हैं, इसलिए उनके व्यक्तित्व में अधिकारियों वाला गुण समाविष्ट है । वे अधिक बोलते हैं और कम सुनते हैं । राही जी हँसमुख और वाक्पटु हैं । वे बहुत अधिक मिलनसार तो नहीं हैं, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर लोगों के यहाँ स्वयं चलकर जाने में आलस्य भी नहीं करते हैं । राही जी एक अध्ययनशील व्यक्ति हैं । उन्होंने जितना लेखन किया है, उसके लिए उन्होंने अत्यधिक अध्ययन किया है । उनकी रूचि साहित्य के अतिरिक्त इतिहास और राजनीति में भी है । चूँकि राही जी ने अर्थशास्त्र से स्नातकोत्तर उत्तीर्ण किया है, इसलिए उन्हें वंचित वर्ग के आर्थिक जीवन का अच्छा ज्ञान और अनुभव है । श्यामलाल राही जी एक रसिक प्रवृत्ति के सहृदय व्यक्ति हैं । वे सौंदर्यप्रेमी और प्रेमीहृदय हैं । यही कारण है कि राही जी शृंगार रस की ग़ज़लें और कविताएँ लिखने में पूरी तरह सफल हुये हैं । श्यामलाल राही जी अंतर्जातीय विवाह के पक्षधर हैं । उनकी पुत्री और उनके पुत्र दोनों ने अंतर्जातीय विवाह किया है, जिसे राही जी ने सहर्ष समर्थन दिया था । राही जी सामाजिक कार्यक्रमों, साहित्यिक सम्मेलनों एवं कवि गोष्ठियों में सम्मिलित होने के लिए इच्छुक नहीं रहते हैं । वास्तव में, वे एकांतप्रिय हैं ।
कृतित्व परिचय
श्यामलाल राही जी की प्रकाशित कृतियों में तेरह उपन्यास, नौ ग़ज़ल-संग्रह, दो कविता-संग्रह, एक कहानी-संग्रह, एक खंडकाव्य, हिंदी दलित साहित्य का इतिहास और आत्मकथा आदि हैं । राही जी के कुछ ग़ज़ल-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और कुछ अभी तक अप्रकाशित हैं । उनकी प्रकाशित कृतियों का विवरण निम्नलिखित है :
ग़ज़ल संग्रह :- दबे पाँव (1994); आहट (1997); गूँज (2008); कुहुक (2008); सप्त स्वर (2019)
कविता-संग्रह :- सिर्फ काँटे नही (1996); देशप्रेम (2000)
खण्ड-काव्य :- सावित्री (2020)
गीत-संग्रह :- प्रेम तरंग (2021)
कहानी-संग्रह :- जनेऊ और मोची ठाकुर (2014)
उपन्यास :- कमलकांत आईएएस (2003); डिप्टी साहब (2003); पागल - 2006; जल समाधि (2009); जूतियों का ताज (2009); ढुलैत (2009); वैशाख पूर्णिमा (2011); आखिरी मंजिल (2013); ढोला मारू (2013); रौज-ए-मुकद्दस ताजमहल (2019); रेत का दरिया (2020); ऊँची उड़ान (2020)
आत्मकथा :- मेरी आत्मकथा (2016)
इतिहास :- हिन्दी दलित साहित्य का इतिहास (2014)
===============================
✍️ लेखक :- देवचंद्र भारती 'प्रखर'
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, हरिनंदन स्नातकोत्तर महाविद्यालय मोहरगंज, चंदौली (उत्तर प्रदेश)
📱 9454199538
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖