डॉ. बी.आर. बुद्धप्रिय (परिचय एवं कविताएँ)


डाॅ० बी०आर० बुद्धप्रिय 

जन्म : 13 जनवरी 1962 ई०

जन्मस्थान : ग्राम - अली चक, पोस्ट - नोनहरा, जिला - गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) 

पिता : श्रद्धेय मुक्तेश्वर प्रसाद 

माता : श्रद्धेया दसौंती देवी

शिक्षा : एम०ए० (समाजशास्त्र, इतिहास) बी०एड०, पीएच०डी० ।

कृतियाँ : अभी वक्त है (कविता संग्रह) 2005, बगावत (कविता संग्रह) 2009, विद्रोह की चिंगारियाँ (कविता संग्रह) 2013, सांस्कृतिक क्रांति और डॉ० आंबेडकर 2013, प्रबुद्ध विभूतियाँ (शोध पत्र), बहुजनों की हुँकार (कविता संग्रह) 2014, प्रबुद्ध महानायक डॉ० आंबेडकर के मानवतावादी चिंतन 2014, डॉ० आंबेडकर - राज्य समाजवाद और भगत सिंह, अपराजित (कविता संग्रह) 2021
 ।

साहित्यिक कार्य : मुख्य संपादक - 'युगपुरुष डॉ० आंबेडकर' स्मारिका बरेली मंडल (1992-2007), सहसंपादक - 'आंबेडकर मिशन' पत्रिका पटना (पंद्रह वर्षों से निरंतर), पूर्व संपादक - 'पंचशील' पत्रिका राजकीय इंटर कॉलेज अगरास (1992-1996), संपादक - 'कमेरी दुनिया' कानपुर (बारह वर्षों से निरंतर), रेडियो-दूरदर्शन से प्रसारण एवं देश-प्रदेश की साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में शोध पत्र प्रकाशित, आंबेडकरवादी साहित्य में अनवरत लेखन कार्य जिसकी मुख्य विधा आंबेडकरवादी कविता है ।

सामाजिक कार्य : 'आशा-बुद्धप्रिय फाउंडेशन' के तत्वाधान में सामाजिक, शैक्षिक एवं धाम्मिक क्षेत्रों में लगभग पंद्रह वर्षों से निरंतर क्रियाशील तथा इन क्षेत्रों से संबंधित सांस्कृतिक कार्यक्रमों हेतु 'अहिछत्रा धम्मा हाल' (बरेली) का निजी खर्च से निर्माण ।

पुरस्कार/सम्मान : राष्ट्रीय शांति पुरस्कार 'अवंतिका' से सम्मानित दिल्ली, अखिल भारतीय त्रिरत्न सम्मान से सम्मानित समता बुद्ध विहार दिल्ली, डॉ० आंबेडकर फैलोशिप से सम्मानित दिल्ली, भीमराव आंबेडकर राष्ट्रीय गौरव सम्मान से सम्मानित हरियाणा, अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा सम्मान, सदगुरु कबीर साहेब नेशनल अवार्ड 2014, भारतीय दलित साहित्य अकादमी दिल्ली, आंबेडकर इन इंडिया नेशनल अवार्ड 2018 लखनऊ (उत्तर प्रदेश), बहुजन प्रेरणा नेशनल अवार्ड 2018 घोसीमऊ (उत्तर प्रदेश) 

प्रशस्ति पत्र : वर्ष 1994-95 ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए जिलाधिकारी बरेली द्वारा प्रशस्ति पत्र, धम्म प्रचार-प्रसार हेतु किये गये विशेष कार्य के लिए भंते नागार्जुन सुरेई ससाई, अखिल भारतीय भिक्खु संघ के राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य द्वारा प्रशस्ति पत्र ।

संप्रति : राजकीय शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार, प्रधानाचार्य राजकीय इंटर कॉलेज, बराथानपुर, बरेली ।

संपर्क : 67-ए, आनंद विहार, आशापुरम, संजय नगर, निकट ताइक्वांडो स्कूल, पोस्ट - इज्जत नगर, बरेली (उत्तर प्रदेश) - 243122

मोबाइल : 9412318482, 7983154558
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☸️  डाॅ० बी०आर० बुद्धप्रिय की कविताएँ  ☸️

समन्वय

मुझे नहीं चाहिए तख्त और ताज 
मुझे नहीं चाहिए चाटुकारिता की 
खुशबू से सुगंधित राष्ट्रपति पुरस्कार 
मुझे चाहिए समाज में समानता का विश्वास ।
परंपराएँ बदलें, संरचना बदले, व्यवस्था बदले, 
मुझे तो समन्वय का पुजारी चाहिए 
जिसकी पूजा समाज में समानता लाए 
उसके आशीर्वाद से समन्वय का संसार बने 
समन्वय के मंच पर बैठकर 
सौहार्दपूर्ण मानवता की व्याख्या हो 
और सभी को खुश रहने की इजाजत हो ।
 

मानवता 

जब एक ही गगन है 
धरती भी एक ही सबकी 
फिर क्यों ऐसा होता है 
जुबां पर नाम है सबके, 
अपने अपने देश का ?
जब एक ही सवेरा है 
खून भी एक समान 
मानव-मानव खुश क्यों रहते नहीं 
समाज में क्यों असमानता ?
एक ही पवन है 
जीना सबका श्रेयस्कर है 
भाईचारा पैदा करो 
खुश रहें सभी मिल-जुलकर ।
जब एक ही लक्ष्य हमारा 
बैर के बीज बोते ही क्यों ?
साथ तुम्हारे कुछ नहीं जाएगा 
इसलिए हम कहते हैं 
श्रेष्ठ हमारी मानवता ।
मानव से मानव को जोड़ने 
खुशियाँ फैलाओ दसों दिशाओं में
आशा, उन्नति की किरण बिखेरने 
विश्वशांति, मानव धर्म की खुशबू 
महकाने दसों दिशाओं में ।


आह्वान

मैं आह्वान करता हूँ 
अपने देश के नागवंशियों 
के वंशजों का ।
उठो! फुँफकार कर 
क्रांति का बिगुल बजा दो 
यह समय बिल में 
शांति से विश्राम करने का नहीं ।
मैं आह्वान करता हूँ 
भारत के मूल निवासियों का 
जो सिंधु सभ्यता के निर्माता हैं
अभी भी तुम्हारे बाजुओं में 
नया युग और धम्म निर्माण करने की शक्ति है 
नये युग, धम्म का निर्माण करो 
भला अपनी ताकत को 
पहचानने में देरी क्यों ?
मैं आह्वान करता हूँ 
क्रांतिकारी वंचित छात्र-छात्राओं का 
समाज व देश में 
नये सवेरे की शुरुआत कर दो 
वरना देर से जागोगे 
तो समय गुजर जाएगा 
फिर पछताने के अलावा 
कुछ शेष हाथ न आएगा 
कुछ तो चेतो भाइयों !
विद्रोह का आह्वान कर दो 
पूरे विश्व के मनुपुत्रों के विरुद्ध 
जो हमारे श्रम की कमाई का 
दुरुपयोग कर रहे हैं ।


नया सवेरा नया जोश 

नया सवेरा नये जोश के 
साथ मनाएँगे हम नया साल ।
मिटा देंगे इस सरजमी से 
असमानता का अमान्य जाल ।।
मुबारक नया साल उम्मीदों के 
नये विकास की कड़ी बनाने को ।
शिक्षा की अलख जगाने को 
इंसान को कर्तव्य के प्रति तत्पर बनाने को ।।
बदल सकते हैं जमाने के रुख को 
दृढ़ संकल्प की जरूरत है अपनाने को ।
हसरत पूरी हो जाएगी एक दिन 
व्यवस्था परिवर्तन की आवश्यकता को ।।
पाँच हजार साल की सड़ियल व्यवस्था को 
यदि समूल नष्ट करना है, तो 
गुलाम मानसिकता को वैज्ञानिक 
सोच में परिवर्तित करना है ।।
जिंदगी एक दिन फिसल जाएगी 
मछली की तरह ।
देखते रह जाओगे व्यवस्था को 
एक ठगे मुसाफिर की तरह ।।
अभी भी मानसिकता दूषित है 
कुव्यवस्था को जिंदा रखने वालों की ।
जब तक संविधान है हमारा 
इच्छा पूरी नहीं होने देंगे देश के गद्दारों की ।।


भवतु सब्ब मंगलम्! 

चिर परिचित सभ्यता और संस्कृति की 
पहचान ही श्रेष्ठता 
भवतु सब्ब मंगलम् की 
पहल ही हमारी सुख-समृद्धि 
तथागत के सुख-शांति का मिशन 
पल्लवित, पुष्पित हो जग में 
आदि से अंत तक बिखरेगी खुशबू चाहूँ दिशा में 
जीवन-मूल्य परख बने 
प्रसन्नता व सुख मिशन ऐसा हो अपना 
व्यक्ति, देश, समाज, परिवार अमन के 
तोहफे से स्वागत की तैयारी 
न किसी को दुःख हो न किसी को भय हो 
न सिसकियों की सुगबुगाहट 
अमानवीय, असामाजिक व्यवस्था का हो सत्यानाश 
अभिशप्त कराहती आवाजें
अपनी पहचान बनाएँ क्षितिज पर बार-बार 
पारंपरिक अतीत की खिड़की और झरोखों से 
उन्मुक्त होकर बह चले मंद मुस्कान 
पारदर्शी हो विजन हर मानव का 
छाया-प्रतिछाया, बिंब-प्रतिबिंब सब एक हो
सर्वनाश हो मान्यताओं का 
महके सदा जीवन की बगिया 
पूरी हो सबकी अभिलाषा
हो संचार जीवन में नई ऊर्जा का ।

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