छठ कोई धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि लोक पर्व है । छठ का बौद्ध धम्म से कोई संबंध नहीं है । सूर्यपूजा से भी छठ का कोई संबंध नहीं है । पानी में खड़े होकर अर्घ्य देना अंधविश्वास और पाखंड के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है ।
सजल
अपने समय का सच लिखो, कोई सहे या ना सहे ।
चिंता नहीं करना, कोई अच्छा कहे या ना कहे ।।
दीपोत्सव है ठीक, लेकिन गलत दीपदान है ।
धारा बहाओ सत्य की, कोई बहे या ना बहे ।।
छठ मात्र कृषक-पर्व है, संबंध सूरज से नहीं ।
ठोकर लगाओ तर्क की, कल्पित ढहे या ना ढहे ।।
- देवचंद्र भारती 'प्रखर'